भारत में नहीं दिखा साल का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण

उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप में अप्रैल 8 को पूर्ण सुर्यग्रहण दिखा , पर ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखा । और ये सुर्यग्रहण अपने आप में एक दुर्लभ सूर्य ग्रहण था । ये बहुत खास बात है की अगर कोई एक जगह से पूरा सुर्यग्रहण देख ले , तो उसी जगह से सेम उसी जगह से उसको पूरा सूर्य ग्रहण देखने के लिए चार सौ साल तक जिन्दा रहना पड़ेगा। नासा ने धरती के ऊपर से वायुमंडल में इस ग्रहण के प्रभाव की जाँच के लिए तीन साउंडिंग राकेट लांच किये थे। इसके साथ ही इस मौके पर दुनिया भर से सूर्य ग्रहण की बहुत प्यारी तस्वीरें आयी है। भारत में तो हमे सुर्यग्रहण देखने को न मिला पर हम आपको कुछ तस्वीरें तो दिखा सकते हैं।

आप कभी भी सूर्य ग्रहण को नंगी आँखों से नहीं देख सकते क्योंकि सुर्यग्रहण की किरणों को आप डायरेक्ट नहीं देख सकते इससे आँखों के रेटिना पर नुक्सान होता है। ऐसा ही अमेरिका में हुआ एक शख्स ने ग्रहण देखने के लिए धुप के चश्मे का उपयोग किया।

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चंद्रमा सूरज को पूरी तरह से ढके उससे ठीक पहले ‘डायमंड रिंग’ की एक स्थिति बनती है. जिसमें चंद्रमा के किनारे से सूरज की रोशनी आती है. इससे एक अलग तरह की चमक आती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चंद्रमा के चारों तरफ के ऊबड़-खाबड़ इलाके से सूरज की रोशनी आती है।

चन्द्रमा सूरज को पूरी तरह से ढका हुआ है, इससे पहले डायमंड रिंग की बना , जिसमे आप देख पाएंगे की चन्द्रमा के साइड से सूरज की रौशनी आती है और इससे अलग तरह की चमक आती है । और ऐसा तब आता है कि चन्द्रमा के हर तरफ उबड़ खाबड क्षेत्र से सूरज कि रौशनी आती है।

जब सुर्यग्रहण होता है तो वह बीएस अमावस्या के समय देखा जा सकता है और ऐसा तब होता है जब सूरज और चन्द्रमा धरती की एक तरफ होते हैं ।परन्तु ऐसा भी नहीं है की हर अमावस्या पर ग्रहण लगता है। ऐसा दो से पांच सालो में एक बार होता है। ये इसलिए होता है कि जिस तल पर धरती सूरज का चक्कर लगती है। चाँद उस तल पर धरती की परिक्रमा नहीं लगता। इसलिए जब चाँद , सूर्य और पृथ्वी की मध्य होता है । तो उसकी छाया पृथ्वी पर पड़ने के लिए या तो बहुत ऊँची होती है या बहुत नीची होती है

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