मेट्रो वाली दीदी क्यों कहती है येल्लो लाइन से पीछे रहो

जब भी आप मेट्रो ट्रैन का इंतज़ार कर रहे होते हैं तो अक्सर आपको सुनाई देता है कि “पीली लाइन के पीछे खड़े हों ” वैसे तो अपने भी देखा होगा कि येलो लाइन ट्रेन से काफी दूर नज़र आती है । पर भी वह बार बार ऐसी अनाउंसमेंट क्यों होती है तो इसके पीछे कि बजह जानते हैं।

जाने बजह

इसकी साइंस भी ऐसी ही है जैसे प्लेन उड़ता । तो जैसे अपने प्लेन को रनवे पर चलते हुए देखा होगा कैसे उड़ान भरने से पहले भयानक दौड़ के साथ प्लेन भागती है। और अगर बात करें हेलीकाप्टर की तो वह खड़े खड़े ही उड़ना शुरू हो जाते हैं , परन्तु प्लेन को उड़ने से पहले रनवे पर दौड़ कर लिफ्ट जेनरेट करनी पड़ती है। चलिए और आसानी से समझते है, जैसे तेज हवा में घरो पर टीन की छत कैसे उड़ती है ? दरअसल तेज हवा से टीन के ऊपर लौ प्रेशर बनता हैं वहीँ निचे की तरफ से कोई हवा का प्रभाव न होने के कारण , नीचे की और कोई प्रेशर नहीं बनता और ये सब बरनौली प्रिंसिपल के जरिये होता है।

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और भी आसान भाषा में कहा जाये टी , जिस तरफ हवा होगी , वहां लौ प्रेशर बनेगा जो वस्तुओ को अपनी और खींचेगा ऐसा पूरा मामला मेट्रो के साथ ही होता है। तेजी से आती ट्रेन से आस पास की हवा की स्पीड भी बढ़ जाती है । अब इसमें छत की टीन वाला काम होता है , प्रेशर इतना ज्यादा होता है वह चीजों को अपने पास बुलाता है इसलिए मेट्रो वाली दीदी कहती है मुझसे ज़रा दूर ही रहो। इसलिए पीली लाइन के पीछे ही रहें

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