जानिए क्या होगा रामलला की पुरानी मूर्ति का और कितने करोड़ का खर्च हुआ राम मंदिर पर

अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। सोमवार को रामलल्ला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा हुई। इसी बीच राम मंदिर के ट्रस्ट श्री गोविन्द देव गिरी ने कहा कि अस्थायी मंदिर में रखी गयी पुरानी रामलला की मूर्ति को नयी के सामने रखा जाएगा। जो 22 जनवरो को ही मंदिर में प्रतिष्ठित की गयी। उन्होंने बताया की राम मंदिर के निर्माण को 1100 करोड़ रूपए का खर्च हो चूका है और काम पूरा करने के लिए अभी 300 करोड़ की और आवश्यकता पड़ सकती है। क्योंकि निर्माण अभी अधूरा है। आपको बता दें की राम की तीन मूर्तियों का निर्माण किया गया था , जिसमे मैसूर स्थित मूर्तिकार अरुण योगिराज द्वारा बनाई गयी मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना गया , और मंदिर के ट्रस्ट से पूछा गया कि अन्य दो मूर्तियों का क्या होगा तो उन्होंने , जवाब दिया की उन्हें पुरे सम्मान के साथ मंदिर में रखा जाएगा। एक मूर्ति हमारे पास रखी जाएगी क्योंकि रामलला की मूर्ति और आभूषणों को मापने के लिए इसकी आवश्यकता पड़ेगी। रामलला के मूर्ति के विषय में मंदिर के ट्रस्टी ने कहा की इसे मूर्ति के सामने रखा जाएगा। मूल मूर्ति बहुत ही आवश्यक है। इसकी ऊंचाई 5 – 6 इंच है और इसको 25 -30 फ़ीट की दूरी से नहीं देखा जा सकता इसके लिए बड़ी मूर्ति की जरूरत थी। गिरी ने बताया की मंदिर की एक मंजिल पूरी हो चुकी है और अब दुसरी तैयार करने जा रहे हैं। हमने तीन मूर्तियां बनवाई हमे तीनो में से एक चुनना कठिन था क्यूंकि वह तीनो ही बहुत खूबसूरत हैं। सभी ने हमारे द्वारा दिए गए मानदडों का पालन किया । आगे उन्होंने बताया की पहला मानदंड ये था की चेहरा दिवय चमक के साथ बचे जैसा होना चाहिए। दूसरा भगवान राम आजानुबाहु थे अर्थात एक व्यक्ति जिसकी भुजाएं घुटनो तक होती हैं । तो इसलिए भुजाये इतनी लम्बी होनी चाहिए। श्री राम जन्म भूमि के ट्रस्टी ने कहा की सभी अंग सही अनुपात में थे।

उन्होंने कहा की हमे एक बच्चे की झलक इसमें आ रही थी और सरे आभूषण भी बहुत अच्छे ढंग से उकेरे गए थे। जिससे मूर्ति की सुंदरता बढ़ गयी । जब ट्रस्टी से यह पूछा गया की उनको मूर्ति का चयन करने में कितना वक़्त लगा तो उन्होंने कहा की वह हर महीने उस जगह जाते थे जहाँ पर मूर्तियों कि नक्काशी चल रही थी। और बाकि जनता का वह जाना वर्जित था। मूर्तियों को बनाने में पांच महीने लगे और फिर हमने एक दिन जाकर मुर्तिओ का चयन करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा की पांच सो वर्षो में एक ऐसा कार्यक्रम आयोजित हुआ है भारत में जिसे हम दीवाली का नाम देंगे।

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हम प्रत्येक वर्ष दीपावली मनाते हैं मगर ये ऐतिहासिक दीपावली है। इतने समय बाद भगवान राम को उनके मूल स्थान पर विराजमान किया जा रहा है ये बहुत ही उल्लास की बात है । सनातन धर्म पर टिपण्णी करने वाले लोगों पर उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा की जनता को ये समझना चाहिए की धर्म क्या है ? जैसे आप विज्ञानं पर विश्वास करते हैं तो उसके सिद्धांत मौजूद हैं उसी तरह से धर्म भी शाष्वत है , जो लोग धर्म में मानते हैं उन्हें लाभ होगा और जो लोग इसे ांडेस्कः करते हैं उनको कोई लाभ नहीं होगा

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