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एलेक्ट्र्टोल बांड स्कीम से राजनितिक दलों को बहुत चंदा मिला है । और अब जानकारी सामने आयी है कि इस स्कीम से SBI को इससे बहुत फायदा मिला है । साल 2018 से लेकर 2024 तक चुनावी बांड की बिक्री करीव तीन चरण में पूरी हुई है। इन चरणों के समय SBI ने भिन्न – भिन्न शुल्क लगाए और केंद्रीय वित्त मंत्रालय को कमीशन के तौर पर 10.68 करोड़ रुपये का बिल दिया।
एक रिपोर्ट से जानकारी मिली है कि , SBI ने सभी शुल्क अलग अलग कीमतों के लगाए थे । और सबसे कम शुल्क था 1.82 लाख रुपये का।
और सबसे ज्यादा था 1.25 करोड़ का । यह शुल्क नौवें चरण में लगाया गया था। जब साल 2019 के लोकसभा चुनाव हुआ था तो उससे पहले कुल मिला के 4,607 एलेक्ट्रोल बांड बेच दिए थे।
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क्या है पूरा मामला ?
बैंक ने शुल्क वसूलने के लिए वित्त मंत्रालय से लगातार तगादा भी किया. एक बार तो फरवरी 2019 में तत्कालीन SBI चेयरमैन रजनीश कुमार ने आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग को एक पत्र भी लिखा था. उस समय SBI को वित्त मंत्रालय से 77.43 लाख रुपये वसूलने थे.
इस पत्र में SBI के चेयरमैन ने यह भी बताया था कि आखिर कैसे इस कमीशन को तय किया जा रहा है. इसके तहत फिजिकल कलेक्शन पर प्रति ट्रांजैक्शन 50 रुपये और ऑनलाइन कलेक्शन पर प्रति ट्रांजैक्शन पर 12 रुपये की बात कही गई थी. चेयरमैन की तरफ से प्रति 100 रुपये पर 5.5 पैसे कमीशन की बात कही गई थी