सुप्रीम कोर्ट जस्टिस ने उठाये नोटबंदी पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस ने उठाये नोटबंदी पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना ने एक बार फिर नोटबंदी पर सवाल खड़े कर दिए हैं और कहा है कि नोटेबंदी के बाद पांच सौ और हजार के नोटों का लगभग 98 % हिस्सा RBI में वापिस आ चुका है । तो फिर कालाधन कहाँ से खत्म हुआ? और साथ ही काले धन को सफेद करने का तरीका भी बताया है। जस्टिस बीबी नागररत्ना ने पिछले दिन तीस मार्च को हैदराबाद में NALSR लॉ यूनिवर्सिटी में आयोजित की गयी अदालतों और संविधान के पांचवे वार्षिक सम्मेलन में पहुंची थी । जिसके दौरान काफी बड़ी बातें हुयी

“हम सब जानते हैं कि 8 नवंबर 2016 को क्या हुआ था , जब 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए गए थे। दिलचस्प पहलू ये है कि उस समय भारतीय इकॉनमी की 86 प्रतिशत मुद्रा 500 और 1000 रुपये के नोटों के रूप में थी। जिसे केंद्र सरकार ने नोटबंदी के समय अनदेखा कर दिया। “

“उस मजदूर के बारे में सोचिए, जो रोज़ अपनी दिनभर की मजदूरी के बाद 500 या 1000 रुपये का नोट पाता था और फिर शाम को उसे बदलता था , जिससे वो दैनिक ज़रूरतों के सामान खरीद सके। ”

जस्टिस नागरत्ना द्वारा नोटबंदी के सरकार के निर्णय को सही ठहराने वाली पीठ में इकलौती जज थीं, जो इससे सहमत नहीं थी और उन्होंने शनिवार को फिर दोहराया कि उन्हें नोटबंदी से वह असहमत हैं , क्योंकि आम आदमी की परेशानी ने उन्हें ऐसा करने के लिए बाध्य किया।

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रिपोर्ट के अनुसार अपने सम्बोधन में न्यायधीश ने पंजाब राजयपाल से जुड़े हुए मामले का भी जिक्र किया और लोगों के द्वारा चुनी हुई सरकार को पारित विधेयकों पर राजयपाल काफी समय तक निर्णय नहीं देते जिसपर उनका कहना था के राज्य्पाल के दफ्तर की एक संवैधानिक प्रकृति होती है। जो कि उन्हें समझना चाहिए उन्होंने बताया कि राज्यपाल के पास शक्ति परीक्षण करने की घोषणा के लिए पर्याप्त कोई आधार नहीं थे।

हैदराबाद की NALSR लॉ यूनिवर्सिटी के जिस कार्यक्रम में जस्टिस नागरत्ना ये सब बोला, उसमें नेपाली सुप्रीम कोर्ट से न्यायधीश सपना प्रधान मल्ला, पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस सैयद मंसूर अली शाह और तेलंगाना हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस आलोक अराधे भी उपस्थित थे

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