हाईकोर्ट ने बताया NIA को UAPA का मतलब
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अपना फ़ैसले में कहा है कि अवैध गतिविधि अधिनियम जिसे आप UAPA के तहत किसी भी जगह को चिह्नित करने का अर्थ यह नहीं कि किसी की संपत्ति हड़प कर ली जाएगी। आपको बता दें कि नोटिफ़ाई करने का इरादा ये तय करना है कि संपत्ति का प्रयोजन अवैध गतिविधियों के लिए न हो।
आखिरकार क्या है UAPA ?
साल 27 सितंबर, 2022 को इस्लामी संगठन – पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) – और उसके कथित मददगारों को UAPA के तहत ‘ग़ैरक़ानूनी संगठन’ का एलान हुआ था। फिर अगले दिन बाद ही दिल्ली के जामिया नगर में एक संपत्ति के साथ में अधिसूचना जारी हुयी है। कि इसका इस्तेमाल PFI और उसके सहयोगी कर रहे था ।
UAPA की धारा 8(1) के अनुसार , अगर किसी संगठन को अवैध बता दिया , तो केंद्र सरकार के पास ये हक़ है और उनका कहना है कि वह किसी भी जगह को अधिसूचित कर सकती है, जो ‘उनकी राय में’ गै़रक़ानूनी मंसूबों के लिए उपयोग किया जा रहा है , और, क़ानून में जगह/स्थान शब्द का उपयोग हुआ है – जो कोई घर, घर का हिस्सा या एक तम्बू कुछ भी हो सकता है। तब उस घर के मालिक ने सरकारी अधिसूचना को अदालत में चुनौती पेश रख दी है। सरकार के सिवाय दिल्ली पुलिस ने भी साल २०२२ , 30 सितंबर, को एक नोटिस जारी कर दिया है , कि घर के मालिक संपत्ति से जुड़ी जानकारी शेयर करें। जिन्होंने याचिका की है कि दिल्ली पुलिस की नोटिस को भी चुनौती दी थी। अदालत से संपत्ति पर से सील हटाने और अनलॉक करने की याचना की है
याचिकाकर्ता का हाईकोर्ट के सामने बयान दिया कि वह संपत्ति के “असली मालिक ” हैं और वो PFI के सदस्य नहीं था । उन्होंने अपना दुःख बताया कि दिसंबर, 2021 में उसने प्रॉपर्टी किसी और व्यक्ति को 11 महीने के लिए पट्टे पर दी थी , और उन्हें इस बात की कोई सूचना नहीं है कि किराएदार PFI का मेंबर था या घर का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों के लिए किया जा रहा था।