पंकज त्रिपाठी की “मैं हूँ अटल: का रिव्यु

आपको मालूम ही है की बॉलीवुड हर बार कोई न कोई नई बायोपिक बनाती ही रहती है। और वहीँ अगर बात करें पॉलिटिक्स फिर तो मेकर्स तुरंत हामी भर देते हैं। पिछले कुछ समय में नरेंद्र मोदी , बालसाहिब ठाकरे , मनमोहन सिंह इत्यादि पर मूवीज बन चुकी हैं , परन्तु इनसे जनता से कोई भी खास प्यार नहीं मिला, कोई भी मूवी हिट नहीं हो पायी तो अब नयी बायोपिक आ चुकी है जो कि आधारित है अटल बिहारी बाजपेयी के जीवन पर। भारत रत्न , देश के पूर्व प्रधानमंत्री , BJP के सबसे गद्दार नेता , देखते हैं इनका अभिनय कर पाने पंकज त्रिपाठी सफल हुए हैं या नहीं।

मैं अटल हूँ : ये मूवी एक मराठी किताब से प्रेरित है , किताब के जो भी मुख्य हिस्से हैं उनको फिल्म में उतारा गया है। इसके अलावा मेकर्स के पास पब्लिक डोमेन से जो भी एकत्रित हुआ वो सब का मूवी में अच्छे से इस्तेमाल किया है , इस फिल्म में आपको अटल जी के शुरुआती जीवन की झलक देखने को मिलेगी। कैसे उनको भाषण को लेकर उनका प्रेम बढ़ा इसी तरह से उनकी पॉलिटिक्स में एंट्री और कारगिल युद्ध ाहर एक चीज आपको मूवी में अच्छे से देखने को मिलेगी। यानि की आपको मूवी देखने में मजा आएगा जिसमे अटल जी की शुरुआत से लेकर जिंदगी दिखाई जाएगी । मूवी के डायरेक्टर्स के लिए यह बड़ा चैलेंज होता है की किस तरह से उनको मिली हुई जानकारी को अच्छे तरीके से दर्शको के सामने पेश किया जाए। जैसे की आपको मालूम है की इंटरनेट पर अटल जी के जीवन की पूरी जानकारी मौजूद है। अनसुने किस्से भी इंटरनेट के माध्यम से सामने आ जाते हैं । परन्तु अब चैलेंज ये है कि किस तरह से उनको अलग अंदाज में पेश किया जाए। आपको बता दें की डायरेक्टर्स पूरी तरह सफल नहीं हो पाएं। फिल्म 2 घंटे 29 मिनट्स की है जो की दर्शको को बोर करने के लिए काफी है। वैसे तो अटल जी का जीवन इतना भी बोरिंग नहीं है पर फिल्म देखते समय आपको मूवी का फ्लो टूटता दिखाई देता है।

जैसे आपको भी मालूम है कारगिल युद्ध ,इमरजेंसी लगना , परमाणु परीक्षण ये सब देश के बड़े एहम इवेंट हैं। मूवी को डायरेक्टर्स ने सिंपल बनाने के चक्कर में बोर कर दिया है। फिल्म में एक ही प्लस पॉइंट है जो कि पंकज त्रिपाठी की एक्टिंग बढ़िया है। इन्होने मूवी में शानदार काम किया है। इन्होने न सिर्फ अटल जी के बोल चाल को कॉपी किया है बल्कि ऐसा लग रहा है उन्होंने पर्दे पर अटल जी को जिन्दा कर दिया है। आपको वह स्पीच सुन्नी चेहये जो पंकज त्रिपाठी द्वारा दी गयी है वह आपको जरूर देखनी चाहिए। फिल्म में एलके के रोले के लिए राजा रमेश कुमार को कास्ट किया है। प्रमोद पाठक श्यामा प्रसाद मुख़र्जी हैं । मेकर्स ने इनके किरदारों को पोलिश करने कि कोशिश नहीं की।

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इस फलम को डायरेक्ट किया है रवि जाधव ने किया। इन्होने पहले ही नेशनल अवार्ड जीते हैं जिनसे दर्शको को काफी उमीदे थीं। इन्होने अटल जी की लाइफ के साथ बिना कोई छेड़छाड़ किये बिना सिंपल दिखाने की कोशिश की है। बाबरी का भी विरोध भी मूवी में दिखाया है , कोई भी राजनितिक दवाव नहीं था जो भी गलती हुई है डायरेक्टर्स से ही हुई है। कहानी भी कुछ ज्यादा ही लम्बी रखी है जबकि इसको और इंटरेस्टिंग बना सकते थे। इस मूवी में हमारी तरफ से रेटिंग सिर्फ 2 होगी

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