pink tax

महिलाओ को देना पड़ता था पिंक टैक्स , जानिए इसके पीछे की पूरा सच

जैसे की आप सब को पता है कि सभी लड़कियों का पसंदीदा रंग गुलाबी होता है । अगर हम बात करें फिल्म जगत की तो जहाँ पर भी लड़कियों पर फिल्म बनाई जाती है उस पर भर भर कर गुलाबी रंग दिखाया जाता है , उदाहरण के तौर पर “बार्बी ” और एक पुराने समय की मूवी “फनी फेसेस”। तो चलिए अब आपको बता देते हैं कि गुलाबी रंग का शुरुआत से ही ऐसा रहा है या कुछ बदलाव हुए हैं तो आपको क्लियर कर दें कि पहले नीला रंग लड़को का अथवा गुलाबी रंग लड़को का हुआ करता था। ये सब 1950 की बात है और तो और नर्सो की बर्दी का रंग नीला हुआ करता था। तो अब रंगो के बंटवारे की बजह क्या थी और क्यों ये रंगो में बंटवारा हुआ।

ऐसा शुरुआत से ना था :


यह बात उस समय की है जब पहला विश्व युद्ध हुआ था। यानि कि साल 1914 के आस-पास , आपको बता दें उस समय फ्रांस की सेना की वर्दी नीले रंग की थी।तो ओर ब्रिटिश नर्सों की वर्दी भी नीली थी, इसके साथ युद्ध में शामिल हुए अमेरिकी नर्सों की वर्दी भी नीली ही थी। उस समय नीले रंग को किसी जेंडर से रिलेट नहीं किया गया था। इस रंग को इसलिए चुना जाता था कि यह रंग जल्दी मैला नहीं होता था।
रंगो को लेकर बड़ो बूढ़ों में जेंडर बेस्ड कलर कोड नहीं होता था। परन्तु जैसे जैसे समय बदला जब बच्चों के कपड़ों के रंगों को जेंडर से जोड़कर बेचा जाने लगा ।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 1918 में एक अमेरिकी ट्रेड पब्लिकेशन अर्नशॉ इनफ़ैन्ट्स के लेख में छपा कि , कि ‘नीला’ रंग लड़कियों का है। 1925 में आई एफ़ स्कॉट फ़ित्ज़गेराल्ड की किताब ‘द ग्रेट गैट्सबी’ में भी पिंक को मर्दों की पसंदीदा रंग बताय। बहुत से हॉलीवुड के हीरो गुलाबी रंग के कोट पहनते थे जो कि उसमे खूब जचते भी थे।

जब पहला विश्व युद्ध हुआ तो बंदियों को खास तरह की जेलों में कैद किया जाने लगा। जिसमे खास बात यह थी कि जेल की दीवारें गुलाबी रंग की होने लगीं, ऐसा माना जाता है कि गुलाबी रंग गुस्से को शांत करने में मददगार होता है जिससे कैदी आपस में लड़ाई न कर प्रेम से रहेंगे। फिर कुछ दिमागी बीमारी से झूज रहे लोगों को ठीक करने के लिए किया जाने लगा क्योंकि वह इसे देख काम गुस्सा करते थे। यानि आप ये समझ लीजिये कि गुस्सा शांत करने के लिए इस रंग को उपयोग में लाया जाता था। फिर तो इस रंग को लड़कियों के साथ जोड़ा जाने लगा।

चलिए इससे जुड़ा एक और मजेदार किस्सा आपको सुनते हैं जिसमे अस्सी के दशक में युनिवेर्सिटी ऑफ़ आईबा की फुटवाल टीम का ग्रीन रूम और उनका बाथरूम भी पिंक करवा दिया जिससे उनके दिमाग में में विरोध काम हो जाये और वह खेल में अच्छा परफॉर्म न कर पाएं। फिर इस रंग को लड़कियों के साथ जोड़ा जाने लगा कहा या कि जब युद्ध से सैनिक वापिस लौट कर आये तो लड़कियों को कहा गया कि वह पिंक रंग पहन कर घूमे ताकि सेनिको को आँखों को आराम मिल सके।

जाने रंग बदलने की वास्तविकता


चलिए अब हम आपको इसकी वास्तविकता बताते हैं कि ऐसी कोई एक एक घटना नहीं है, जिसके बाद रंगो का कोई बंटवारा हुआ हो परन्तु जैसे जैसे समय बीए और इतिहास में कुछ घटनाये हुयी तो रंगो का बंटवारा होता रहा इसका एक वक्य हिटलर से भी जोड़ा गया है। उस समय यहूदियों को बंदी बना कर उनको पीले रंग का बैज दिया गया था जिससे केदियो कि पहचान आसानी से हो सके। इसी तरीके से गे लोगों को पिंक बैज दिया गया। और पिंक रंग को उसी समय से कमजोर लोगों का रंग माना जाने लगा। दूसरी बात हिटलर को गे नापसंद थे वह उनको गैस चेम्बर में मरवा देता था। इसलिए ये रंग मर्दो से दूर होता चला गया , इससे पहले इसे मर्दो का रंग माना जाता था। इस रंग को लड़कियों से जोड़ा जाने लगा।

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1953 में जब अमेरिका के 34वें राष्ट्रपति बने थे , ड्वाइट डी आइज़नहावर (Dwight David Eisenhower)जिनकी पत्नी का इस पिंक रंग से बहुत लेना देना था। वह अमेरिका के राष्ट्रपति की पत्नी या जिन्हे हम ‘फर्स्ट लेडी’ भी कह सकते हैं , को किसी सेलेब्रिटी से कम दर्जा नहीं दिया जाता, उस समय जब भी वह किसी पार्टी में जाती थी तो पिंक ड्रेस के साथ पिंक नेकपीस वियर करती थी जो कि महिलाएं बहुत पसंद करती थी। वह इस रंग को इतना पसंद करती थी कि इसके एक शेड को मेमी पिंक भी कहा जाने लगा। फिर एक तरह से पिंक रंज को हर जगह पर लड़कियों से जोड़ कर दिखाया जाने लगा।

ऐसे तो गुलाबी रंग से बहुत से किस्से पर एक किस्सा पिंक टैक्स का भी है :


आपको बा दें कि यह वह टैक्स नहीं है जो आप चुकाते हाँ बल्कि वो टैक्स है जिसकी कीमत महिलाओ को ही चुकानी पड़ती थी। मतलब कि मार्किट में जो भी उत्पाद आता था उसकी कीमत महिलाओ को ज्यादा चुकानी पड़ती थी मर्दो के मुकाबले , अगर बात करें पब्लिक टॉयलेट की तो उसमे भी औरतो को ज्यादा पैसा देना पड़ता था। महिलाये पुरुषों के बदले 7 % ज्यादा कीमत देती थी।

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