अडानी धारावी पुनर्विकास परियोजना से जुड़े आवास और आजीविका के मुद्दों का समाधान

अडानी धारावी पुनर्विकास परियोजना भारत की सबसे महत्वाकांक्षी शहरी पुनर्विकास परियोजनाओं में से एक है। इसका उद्देश्य मुंबई के धारावी, एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती को एक आधुनिक और समृद्ध समुदाय में बदलना है। हालांकि, यह महत्वाकांक्षी परियोजना कई महत्वपूर्ण आवास और आजीविका से संबंधित मुद्दों को भी जन्म देती है, जिनका समाधान परियोजना की दीर्घकालिक सफलता के लिए आवश्यक है।

आवास के मुद्दे और समाधान:

1. स्थानांतरण और पुनर्वास: धारावी में लगभग 8 लाख से अधिक निवासी रहते हैं, जिन्हें परियोजना के दौरान स्थानांतरित करने की आवश्यकता होगी। यह एक जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसमें उचित और सस्ते आवास की उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है। 

समाधान: परियोजना के लिए एक मजबूत पुनर्वास नीति तैयार की जानी चाहिए, जो निवासियों को उनकी पसंद के अनुसार पुनर्वास विकल्प प्रदान करे। इसमें पुनर्विकसित क्षेत्र में इन-सीटू पुनर्वास, पुनर्वास फ्लैटों का आवंटन और अन्य स्थानों पर स्थानांतरण के लिए मुआवजा और सहायता पैकेज शामिल हो सकते हैं। पुनर्वास प्रक्रिया में सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित करना और निवासियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना भी महत्वपूर्ण है।

2. आवास की उपलब्धता: पुनर्विकसित धारावी में उपलब्ध आवास इकाइयों की संख्या वर्तमान निवासी संख्या से कम हो सकती है। इससे आवास की कमी और बढ़ती कीमतें हो सकती हैं। 

समाधान: परियोजना के डेवलपर को उच्च घनत्व वाले आवास विकास पर ध्यान देना चाहिए, जिसमें किफायती आवास योजनाओं और छोटे आकार के फ्लैटों का समावेश हो। साथ ही, सरकार को झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास और आवास विकास (JNNURHM) जैसी मौजूदा योजनाओं के माध्यम से आवास की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

3. आवास की किफायतीता: पुनर्विकसित क्षेत्र में आवास की लागत वर्तमान निवासियों के लिए वहनीय नहीं हो सकती है। 

समाधान: परियोजना में किफायती आवास योजनाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शामिल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, सरकार सब्सिडी योजनाओं और ब्याज दर छूट जैसी वित्तीय सहायता प्रदान करके आवास की किफायतीता सुनिश्चित कर सकती है।

4. आजीविका के मुद्दे और समाधान:

रोजगार: धारावी के अधिकांश निवासी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करते हैं, जैसे छोटे व्यवसाय चलाना, दैनिक मजदूरी करना या स्ट्रीट वेंडिंग। पुनर्विकास के कारण उन्हें अपनी आजीविका खोने का डर है। 

समाधान: परियोजना को रोजगार सृजन पर ध्यान देना चाहिए। पुनर्विकसित क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिविधियों और उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हों। साथ ही, कौशल विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए, जो निवासियों को नए कौशल हासिल करने और औपचारिक अर्थव्यवस्था में प्रवेश करने में मदद कर सकें।

5. कौशल विकास: पुनर्विकसित क्षेत्र में उपलब्ध रोजगार के अवसरों के लिए आवश्यक कौशल धारावी के निवासियों के पास नहीं हो सकते हैं। 

समाधान: सरकार और परियोजना के डेवलपर को संयुक्त रूप से कौशल विकास कार्यक्रम चलाने चाहिए। इन कार्यक्रमों को पुनर्विकसित क्षेत्र में उपलब्ध नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया जाना चाहिए। साथ ही, उद्योगों और व्यवसायों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे प्रशिक्षुता कार्यक्रमों की पेशकश करें और धारावी के निवासियों को रोजगार के अवसर प्रदान करें।

6. व्यवसायों का विस्थापन: धारावी में हजारों छोटे व्यवसाय हैं, जो पुनर्विकास के कारण विस्थापित हो सकते हैं। इससे न केवल उनकी आजीविका खतरे में पड़ सकती है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंच सकता है। 

समाधान: परियोजना के डेवलपर को पुनर्विकसित क्षेत्र में इन विस्थापित व्यवसायों के लिए उपयुक्त स्थान आवंटित करना चाहिए। साथ ही, सरकार को इन व्यवसायों को स्थानांतरित करने और उन्हें पुनर्स्थापित करने में वित्तीय और अन्य सहायता प्रदान करनी चाहिए। इसके अलावा, सरकार को स्ट्रीट वेंडिंग के लिए उचित स्थान और लाइसेंस प्रदान करके अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का समर्थन करना चाहिए।

परियोजना के दीर्घकालिक प्रभाव:

अडानी धारावी पुनर्विकास परियोजना के सफल कार्यान्वयन के दीर्घकालिक प्रभाव दूरगामी हो सकते हैं, जो न केवल धारावी के निवासियों और मुंबई शहर को, बल्कि पूरे भारत को भी लाभ पहुंचा सकते हैं।

  • आर्थिक विकास: पुनर्विकसित धारावी एक आधुनिक आर्थिक केंद्र के रूप में उभर सकता है, जिसमें वाणिज्यिक गतिविधियों, उद्योगों और स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा दिया जाता है। इससे रोजगार के अवसरों का सृजन होगा, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि होगी।
  • सामाजिक विकास: परियोजना से धारावी के निवासियों के जीवन स्तर में सुधार होगा। उन्हें बेहतर आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त होगी। इससे सामाजिक असमानता कम होगी और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  • शहरी नियोजन का एक मॉडल: अडानी धारावी पुनर्विकास परियोजना अन्य भारतीय शहरों के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकती है, जो झुग्गी-झोपड़ियों और अनियोजित शहरीकरण की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह परियोजना टिकाऊ शहरी विकास, सामुदायिक सहभागिता और आर्थिक विकास को संतुलित करने के लिए एक रोडमैप प्रदान कर सकती है।

निष्कर्ष:

अडानी धारावी पुनर्विकास परियोजना निश्चित रूप से आवास और आजीविका के मुद्दों को जन्म देती है। हालांकि, सावधानीपूर्वक योजना, प्रभावी कार्यान्वयन और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से इन मुद्दों का समाधान किया जा सकता है। परियोजना को न केवल पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढांचा और आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि धारावी के निवासियों के लिए रोजगार के अवसर, किफायती आवास और बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध होना चाहिए। यदि सफलतापूर्वक निष्पादित किया जाता है, तो यह परियोजना न केवल धारावी के निवासियों के जीवन को बदल सकती है, बल्कि यह भारत के अन्य शहरों के लिए भी शहरी पुनर्विकास का एक मॉडल बन सकती है।

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