पिता की मौत के बाद चोरी हुए पैसे मिले पर कोई मुआबजा नहीं मिला

आपके पिता के बैंक अकाउंट से लाखों रुपये डेबिट हो गए? पहली नजर में आपको यह पता चल गया कि आपके पिता की इसमें कोई गलती नहीं है , क्योंकि उन्होंने कभी ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करने के लिए कोई पासवर्ड नहीं बनाया। पैसे वापिस आये भी तो दस साल बाद।

और इस बीच पिता की भी मौत हो गयी

ये किसी फिल्म का डाईलोग नहीं बल्कि ये सत्य घटना है, पिता की मौत और कोर्ट से लगातार 10 साल की लड़ाई के बाद चोरी की हुयी रकम की वापसी का जो भी किस्सा है आपके साथ शेयर किया है , वैसे तो दुःख खत्म नहीं हुआ , क्योंकि कोर्ट से सिर्फ चोरी की हुई रकम ही मिल पायी है किसी तरह का मुआबजा नहीं। तन्मय गोस्वामी ने सोशल मीडिया हैंडल X पर बहुत बार पोस्ट्स लिखकर पूरी घटना बताई , और हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वो ट्रू-कॉलर के साथ काम करते हैं। उनके मुताबिक, साल 2012 में जब उनके पिता SBI इंडिया की ब्रांच में पासबुक को जैसे समय समय पर करवाते थे , अपडेट करवाने गए तो उनको पता चला कि 9 दिन के अंदर 35 बार में खाते से 4.4 लाख रुपये ऑनलाइन निकले गए हैं और इससे संबंधित तन्मय को पिता को उनके मोबाइल पर इससे जुड़ा कोई मैसेज प्राप्त नहीं हुआ।

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  • जैसे ही फ्रॉड की जानकारी मिली तो तन्मय, उनकी बहन और पत्नी ने छानबीन की तो पता चल गया कि पैसा ठाणे (महाराष्ट्र) में निकाला गया है , फ्रॉड करने वालों ने उनके अकाउंट से कुछ फ्लाइट टिकट्स भी खरीदी थीं। उसके बाद तन्मय को अपने अंदर जासूस जैसी फीलिंग आई तो उसे लगा कि बस हो गया कि पुलिस अभी चोरों को पकड़ लेगी।
  • बैंक के द्वारा उनको नजदीक के पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करने को कहा वहां से कहा गया इधर नहीं गुवाहाटी के सीआईडी ऑफिस जाओ
  • हमारे पास इतना पैसा नहीं कि हम महाराष्ट्र जाकर चोरों को पकड़ें. तुम कुछ खर्चा पानी देते क्या?
  • तन्मय के पिता ने कहा : जी बिल्कुल, अगर आप चोरों को पकड़ लिया तो मैं कुछ हिस्सा आपको भी दूंगा.
  • तन्मय के पिता ने इसके बाद आरबीआई में RTI लगाई क्योंकि उनको लगता था कि शायद कोई बैंक का आदमी भी इसमें लिप्त है. काहे से कि लेनदेन का मैसेज नहीं आया था।
  • इन सबसे थककर उन्होंने गुहाटी हाई कोर्ट में बैंक, आसाम पुलिस, आरबीआई और मोबाइल कंपनी बीएसएनएल पर केस किया।
  • साल 2015 में तन्मय के पिता की मौत हो गयी।
  • और इनको दस साल बाद सिर्फ चोरी की हुई रकम ही हासिल हुयी और कोई मुआबजा नहीं मिला।

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