भाजपा को सबसे ज्यादा मिला गुप्त दान :इलेक्ट्रोल बॉन्ड

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना का असंवैधानिक बताकर ख़ारिज कर दिया और 15 फरवरी 2023 को शीर्ष अदालत ने अपना निर्णय तय और कहा की यह योजना सुचना के अधिकार और धारा 19 1 (A) का उललंघन करती है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2019 के बाद से खरीदे गए सभी बॉन्ड का ब्यौरा चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया था जिसके बाद से चुनाव आयोग इस ब्योरे को अपनी साइट पर लाइव करेगा।

आपको बता दें की पांच जजों की बैंच न यह फैसला सुनाया कि राजनितिक दलों कि असीमित फंडों कि आज्ञा देने वाला कानून में बदलाव मनमाना है। सुप्रीम कोर्ट ने बताया की इलेक्ट्रोल बॉन्ड के जरिये काला धन के मुद्दे से निपटने का औचित्य सही नहीं है। CJI चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति , संजीव खन्ना ,बीआर गवई , पार्डीवाला और मनोज मिश्रा ने बीते साल नवम्बर को अपना फैसला सुक्षित रख लिया था।

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अप्रैल 2019 से अब तक लगभग 22 और चरणों में इलेक्ट्रोल बॉन्ड बेचे गए। और पुरे तीस चरणों में कुल 16518 इलेक्ट्रोल बॉन्ड बेचे गए। और साल 2019 14978 करोड़ बॉन्ड बिके जिसका विवरण SBI को देना है। सुप्रीम कोर्ट के आज्ञा के मुताबिक छह फरवरी तक SBI से यह जानकारी मिल जाने के एक सप्ताह बाद इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। आपको बता दें इस बॉन्ड से सबसे ज्यादा लाभ बीजेपी को हुआ है, इससे उनको पांच सालों में यानि 2017 – 22 के बीच 5217 करोड़ का चंदा मिला है जिसमे पुरे चंदे का 57 प्रतिशत है । और कांग्रेस को मात्र 952 करोड़ का चंदा मिला जो की पुरे का 10 प्रतिशत है। और साल 2022 – 23 को भाजपा ने 1300 करोड़ का दान मिला और कांग्रेस को 171 करोड़ का दान मिला।


बदलाबों के बाद आया था इलेक्ट्रोल बॉन्ड :

चुनावी बॉन्ड को बित्त अधिनियम , 2017 के जरिये लाया था। जिसे धन विधेयक के रूप में पास किया गया था। ताकि इसमें राज्यसभा कि मंजूरी कि जरूरत न हो। जब इसे लाया गया तो बहुत से कानूनों को बदला गया। आरबीआई , आयकर और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम मौजूद हैं

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