Supreme Court

SC ने दिया केंद्र सरकार को नोटिस

आपको बता देते हैं कि SC द्वारा नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी थी। अदालत ने अब दाखिल हुई याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने जबाब माँगा है। केंद्र सरकार को इसका जबाब तीन सप्ताह में कोर्ट में दाखिल करना होगा। और केंद्र के पास जबाब देने के लिए 2 अप्रैल तक का समय है और इसके बाद याचिकाकर्ताओं के पास आठ अप्रैल का समय होगा। और इस मामले पर अगली सुनवाई नौ अप्रैल को होनी तय हुई है। सोमवार को CAA 2019 लागू कर दिया गया था और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने 200 याचिकाएं दायर की थी । कहा था कि CAA 2024 पर रोकथाम लगाई जाये। भारत के मुख्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जेबी पदरीवाला और न्यायधीश की SC बेंच द्वारा जो भी याचिकाएं थी उनपर सुनवाई की गयी।

वैसे तो यह CAA दिसंबर 2019 को ही संसद से पारित कर दिया गया था अपर लागु होने के पांच साल बाद , ग्यारह मार्च 2023 को देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध होना शुरू हो गया। विरोश प्रदर्षनक्रियों का कहना है कि CAA के नाम पर मुस्लिम्स के साथ भेदभाव किया जा रहा है। और जिससे आर्टिकल 14 का उंलघन होगा।

किसके द्वारा याचिका दायर की गयी थी ?

केरल के इंडियन मुस्लिम लीग (IUML )ने यह याचिका दायर की थी और कि कानून लागु करने की टाइमिंग संदिग्ध है कारण यह है कि लोकसभा चुनाव नजदीक है। IUML के अतिरक्त कुछ और भी याचिकाकर्ता हैं जैसे TMC की महुआ मोइत्रा , वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्र मंत्री जयराम रमेश इस तरह से और भी बहुत से लोग इस लॉस्ट में शामिल हैं इसके साथ -साथ असम एडवोकेट एसोसिएशन और लॉ के कुछ छात्र भी हैं। शुरू से ही केंद्रका ध्यान वहीँ है कि ये नागरिकों के क़ानूनी, लोकतांत्रिक या धर्मनिरपेक्ष अधिकारों पर कोई असर नहीं छोड़ेगा। इसी के चलते अदालत से इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं को रद करने का आग्रह किया है

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याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने अदालत से अनुरोध किया कि जब तक इस मामले में कोई ाचा सा फैसला ना आ जाये तब तक CAA के ठहर किसी को भी नागरिकता नहीं देनी चाहिए। परन्तु अदालत ने इस तरह का कोई भी आदेश पारित करने से इंकार कर दिया है।

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