कौन है ये अरबो रुपय का एलेक्ट्रोल बोन्ड देने वाली कमपनिया
14 मार्च को, भारतीय चुनाव आयोग द्वारा चुनावी बॉन्ड ( से सम्बंधित डाटा निकाला है जिसमें बताया गया है कि किस पार्टी को कितना चंदा मिला है और किसने दिया है।चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर 763 पेज की एक सूची जारी की है जिसमें मेघा, एवीस, मदनलाल के इलावा और भी बहुत सारे नाम है, जिन्होंने राजनीतिक पार्टियों को करोड़ों रुपया दिया है, जिनसे सब अनजान है।
कौन-कौन सी कंपनियां हैं इसमें शामिल ?
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फ़रवरी को चुनावी बॉन्ड को गैर-कानूनी घोषित कर दिया है और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को निर्देश देकर बॉन्ड से जुड़ी जानकारी को पब्लिक करने के लिए कहा। SBI के द्वारा और समय मांगने पर अदालत ने साफ मना कर दिया और निर्देश दिये कि निर्धारित समय के अनुसार जानकारी ECI को दे दी जाये। जिसके बाद SBI ने 12 मार्च को डाटा दे दिया।
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 763 पन्नों की दो सूचियाँ पब्लिश की गई जिसकी एक सूची में बॉन्ड ख़रीदने वाली कंपनियों और सख्शों के बारे में बताया गया है और दूसरी सूची में बॉन्ड कैश कराने वाली पार्टियों की सूचना दी गई है। ECI को दिये गये आंकड़ों से पता चला है कि 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक कुल 12,156 करोड़ रुपये का चंदा दिया गया था। जिसमें आधी रकम सिर्फ टॉप-20 डोनर्स ने दी है। ज्यादातर टॉप-20 में ऐसे इलाकों की कंपनियां हैं, जहां सरकार का बोलबाला है।
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SBI बॉन्ड प्राप्त करने वाली कंपनियों में दूसरे नंबर पर है जो कि तेलंगाना की कंपनी है। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक सूची के अनुसार 2014 से 2019 के बीच मेघा इंजीनियरिंग का राजस्व लगभग चार गुना हो गया और लाभ छे गुना हो गया है। इसके साथ ही ये लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के बाद भारत की सबसे बड़ी मैनुफ़ैक्चरिंग और इंजीनियरिंग फ़र्म बन गई है।
हैदराबाद के उद्योगपति पामीरेड्डी पिची रेड्डी ने साल 1989 में ‘मेघा इंजीनियरिंग’ नाम से कंपनी की शुरुआत की थी। उनके भतीजे पीवी कृष्णा रेड्डी 1991 में उनका साथ दिया और अब वही कंपनी चलाते हैं। जिसके बाद इनका नाम साल 2023 में भारत के 100 सबसे रयीज लोगों में शामिल था।
जैसे कि अपको पता कि यह इनफ़्रास्ट्रक्चर कंपनी है तो यह जाहिर सी बात है कि इसके लिए सरकारी कॉन्ट्रेक्ट भी मिलेंगे। J & K का जोजिला प्रोजेक्ट को 4509 करोड़ के सुरंग निर्माण के अलावा पांच सौ करोड़ का निर्माण कॉन्ट्रैक्ट और बहुत सी परियोजनाएं दी गयी थी। लेकिन ये सभी परियोजनाएं मिलने से कुछ वक़्त पहले ऑक्टूबर 2019 में कम्पनी पर आईटी विभाग की रेड भी पड़ी थी। आईटी ने हैदराबाद में रेडी से जुडी 15 कंपनियों गेस्ट हाउस और कुछ घरो पर भी छापा मारा था।
वेदांता लिमिटेड
वेदांता लिमिटेड एक मल्टी-नैशनल खनन की कम्पनी है जो प्राकृतिक संसाधनों का खनन करती है। जिसका फोकस तेल, बिजली और गैस पर है। यह तांबा, ऐल्युमीनियम, इलेक्ट्रिक पावर जैसे बहुत से क्षेत्रों में भी इनवेस्ट भी करते हैं। आपको बता दें कि इसने 386 करोड़ रुपये के SBI बॉन्ड की खरीददारी भी की है ।
आपको बता दें की अनिल अग्रवाल – को ‘मेटल किंग’ के नाम से भी जाने जाते हैं – मुख्यतौर पर वेदांता रिसोर्सेज़ लिमिटेड के संस्थापक और अध्यक्ष हैं।
BGSCTPPL
बी. जी. शिर्के कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड यह एक सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कंपनी है जिसे बाबूराव गोविंदराव शिर्के द्वारा 1994 में बनाया गया था। इस कम्पनी 3000 करोड़ से ज़्यादा का वैल्यूशन है। इनके पास लगभग 12,000 से ज़्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं।
अभी इस कम्पनी में विजय बी. शिर्के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं। अभी तक इनके द्वारा कुल 119 करोड़ रुपये का चंदा दिया जा चूका है।
एवीस ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड
वीस ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड यह असूचीबद्ध निजी, ग़ैर-सरकारी कंपनी है। जो कि धातु और खनिज का काम करती है। इसका हेडक्वॉर्टर कोलकाता में है, और इसकी स्थापना 26 अक्टूबर, 1988 को हुई थी। 30 सितंबर, 2020 तक ATPL के पास सार्वजनिक रूप से तीन ही स्टॉक थे। कंपनी ने अब तक कुल 113 करोड़ रुपये का चंदा दे दिया है।
टॉरेंट पावर लिमिटेड
यह कम्पनी अहमदाबाद में है जिसका काम ऊर्जा बेस्ड प्रोजेक्ट्स पर चलता है , जो बिजली केबल बनाती तथा बेचती है और इसकी स्थापना लगभग 1996 में हुई थी। यह कंपनी गुजरात में निजी क्षेत्र की सबसे अनुभवी कंपनी मानी जाती है। टॉरेंट पावर की सोलर बिजली की कैपेसिटी 3092 मेगावाट है और सालाना ये लोग लगभग 4 करोड़ से ज़्यादा ग्राहकों को बिजली पहुँचाने का काम करते हैं। जिनमे शामिल है, गुजरात के अहमदाबाद, गांधीनगर, सूरत; महाराष्ट्र के भिवंडी, शिल, मुंब्रा और उत्तर प्रदेश के आगरा तक।
वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी
वेस्ट उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ग़ैर-सरकारी एक पब्लिक कंपनी है, जो पिछले लगभग 15 सालों से बिजली, गैस और पानी के सेक्टर में कार्यरत है। आपको बता दें की ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश में है।
यह चुनावी बॉन्ड के द्वारा 220 करोड़ रुपये का चंदा दान दिया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार , मेघा इंजीनियरिंग से डोनेशन के अतिरिक्त , डेटा से ये भी हम पता लगा सकते हैं कि MIEL से जुड़ी तीन कंपनियों नेभी दान दिया था। जिसमे से UPTCL एक है।