अब जंतर मंतर पर अपना हल्ला बोलने जा रहे किसान
किसानों के द्वारा एक बार फिर से जंतर-मतंर पर एकत्र हो कर धरना देने की ठान ली है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि किसानों ने इस धरने के लिए एकत्र होने की इजाजत नहीं ली है। जिससे पुलिस ने किसानों की हिफाजत को धयान में रखते हुए धरने से रोकने की बात की है।
क्या कहा किसानों के लीडर तेजवीर सिंह ने
किसान लीडर तेजवीर सिंह ने 6 मार्च को सारे भारत में किसानों के द्वारा शांत तरीके से चलाये जाने वाले धरने की जानकारी साँझा की है। उन्होंने बताया है कि भारत के किसान दिल्ली के जंतर-मंतर में एकत्र होकर रोश प्रगट करेंगे जब तक उनकी मांग को नहीं मान लिया जाता यह रोश जारी रहेगा। किसान लीडर ने भारत के अलग अलग राज्यों से किसानों के दिल्ली पोहचने की भी जानकारी दी है उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार आदि के किसानों ने दिल्ली में रोश प्रगट करने की ठान ली है और अब हम पीछे नहीं हटेंगे। मिली जानकरी के अनुसार किसान रेलगाड़ी,ट्रैक्टर और बस से दिल्ली आ रहे हैं वहीं कुछ द्वारा पैदल ही रोश प्रगटावा करने की बात बताई जा रही है।
पंढेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल की किसानों से गुजारिश
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 3 मार्च को पंजाब में मीडिया की कान्फ्रेंस में किसानों से दिल्ली पहुंचने की गुजारिश की थी।उन्होंने 10 मार्च को “रेल रोको” आंदोलन की भी गुजारिश की है। उन्होंने यह भी कहा था कि पहले से चल रहे रोश स्थानों पर भी किसानों की संख्या और ज्यादा की जाएग
पंढेर ने कहा था जो किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली से दिल्ली नहीं आ सकते हैं उन्हें रेलगाड़ी की मदद से विरोध स्थल पर आ जाना चाहिए।
क्या रही दिल्ली पुलिस की प्रतिकिर्या
किसानों की इस रोश प्रगट करने की जानकारी के बाद दिल्ली पुलिस सतर्क हो गई है। 6 मार्च को दिल्ली के सभी बॉर्डर के इलाकों पर पुलिस की पहरेदारी को बढ़ाया जा सकता है। दिल्ली पुलिस की अनुसार किसानों ने अब तब धरना करने की इजाजत नहीं ली जिसकी वजह से उनकी सुरक्षा के लिए उनको रोकना अनिवार्य है।
इस बीच दिल्ली पुलिस को मिली गुप्त जानकारी से यह पता चला है कि किसनों ने छोटी-छोटी टुकड़ी बनाकर रेलगाड़ी या बस के द्वारा दिल्ली पहुंच की बात की हैं। लेकिन अभी तक की रिपोर्ट्स के अनुसार अभी तक गुस्से से रोश प्रगट करने वाले किसान ज्यादा संख्या में दिल्ली नहीं पोहच पाए है।
जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करने के सभी तह हुए स्थानों के कार्यक्रम रोक दिए गए है। मिले निर्देशों के अनुसार किसी भी रोश प्रगटावा करने वाले किसान को जंतर-मंतर के अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। यह निर्देश 26 फरवरी को दिया गया था और अभी भी लागू है।
आखिर क्या है किसानों के रोश प्रगट करने की वजह, आईये आपको इसके बारे में विस्तार से बताते है
18 फरवरी को हुई किसानों के साथ मीटिंग में सरकार ने दलहन, मक्का और कपास के लिए एमएसपी की गारंटी का समझौता किया था।वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मीडिया को जानकारी दी कि सरकार के इस ऑफर के अनुसार जो किसान फसलों में विविधता लाएंगे और अरहर, उड़द, मसूर दाल और मक्का उगाएंगे, उन्हें पांच सालों के लिए एमएसपी का ठेका दिया जाएगा। हालांकि किसानों ने इस ऑफर को नहीं माना और अपने धरने के स्थान पर वापस चले गये।
23 दिनों से पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर एकत्र किसानों की डिमांड है कि उन्हें एमएसपी की कानूनी तौर पर आश्वासन दिया जाए।