वायुसेना और सेना द्वारा सैनिक को डेढ़ करोड़ न देने पर नोटिस

उच्च न्यायलय ने उन्तीस जनवरी को एक सेवानवृत्त वायु सैनिक द्वारा दायर की गयी अवमानना पत्र पर भारतीय सेना और वायुसेना से जबाब माँगा है । जिनको साल 2002 के ऑपरेशन प्राकर्म के दौरान एक सैन्य हॉस्पिटल में ब्लड ट्रांस्फ्यूशन एड्स होने की बजह से डेढ़ करोड़ रूपए से आशिक मुआबजा देने का निर्देश जारी हुआ था ।
रिपोर्ट के अनुसार र्क्स बलो को नोटिस भेजते हुए न्यायधीत बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने अवमानना याचिका पर कि सुनवाई न सुनने के वायुसेना के अनुरोध को रद किया। क्योंकि दिसंबर तीस 2023 के आर्डर के विरुद्ध समीक्ष याचिका शीर्ष अदालत के पास लंबित की गयी है।

इसके अलावा सोलिस्टर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने अदालत से रिक्वेस्ट की है कि समीक्षा याचिका के निर्णय के बाद अवमानना याचिका पर सुनावी होनी चाहिए। अदालत ने चार हफ्तों के लिए अदालत को बढ़ा दिया है और कहा कि आप इसे सूचीबद्ध करें और चार हफ्ते में हम सुनवाई करेंगे नहीं तो हम फिर मामले को आगे बढ़ाएं।
अधिवक्ता वंशजा शुक्ला ने न्याय मित्र के तौर पर पेश होकर कहा की याचिकाकर्ता को हॉस्पिटल या मुकदमा के लिए लगी राशि नहीं मिली है। अदालत ने नोट किया कि शुक्ला जिन्होंने मुआबजा पर आदेश पारित होने पर अदालत की सहायता की थी। उनकी मदद के लिए पचास हजार रूपए का मानदेय का भुगतान नहीं दिया गया।

साल 2014 मार्च में उन्हें निमोनिया के इलाज के लिए अस्पताल में दाखिल कराया गया था. खास बात यह है किजब इनका टेस्ट अहमदाबाद के सैनिक चिकित्सालय ने हुआ तो उन्हें HIV निगेटिव पाया था। जब समस्या बनी रहने पर उन्हें मई 2014 में मुंबई के भारतीय नौसेना के अस्पताल में फिर से भर्ती कराया गया, तो जांच से पता लगाना मुमकिन हुआ की वह एचआईवी पॉजिटिव है। मेडिकल बोर्ड इ यह बताया कि जुलाई 2002 में जब उन्हें रक्त चढ़ाया गया तो उन्हें संक्रमण हो गया था। सितंबर 2023 में उच्च अदालत के इस निर्णय ने याचिकाकर्ता को हुई मानसिक और हर तरह कि वित्तीय हानि को लेकर अपना निर्णय दिया, जिन्हें उनकी चिकित्सा स्थिति के कारण सेवानिवृत किया गया था। उन्हें लोगों के कलंक का भी सामना करना पड़ा, जिसके कारण उनका तलाक भी हो गया.

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अदालत ने सेना और वायुसेना की डॉक्टर्स कि लापरवाही के कारण उन्हें 15,473,000 रुपये का मुआवजा देते हुए कहा था, ‘लोग काफी खुशी और देशभक्तिपूर्ण कर्तव्य की भावना के साथ सशस्त्र बलों मेंभर्ती होने के लिए तैयार होते हैं,ताकि वह अपना तन , मन ,धन अर्पित कर सकें
वायुसेना को छह हफ्ते के अंदर मुआवजा राशि का भुगतान करने और याचिकाकर्ता को विकलांगता पेंशन की सभी बकाया राशिशुरू करने का निर्देश दिया गया था। साल 2016 में चौहान को सेवा से निकाल दिया गया और एक साल बाद उन्होंने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के तहत शिकायत दर्ज कराई, जिसमें वायुसेना से 95 करोड़ रुपये का दावा किया गया था

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