क्यों होती है किताबें आयताकार

क्यों होती है किताबो की आयताकार बनाई

तो आईये आपको बताते हैं की इराक की राजधानी बगदाद में किताबों का एक अनोखा बाजार है। यहाँ सड़कों पर किताबें रात के सन्नाटे में भी खुले आसमान के नीचे राखी जाती हैं। और इसके पीछे का कारण भी बहुत अच्छा बताया जाता है। वहां लोगों की यह मान्यता है कि “पढ़ने वाले चोरी नहीं करते और चोर पढ़ते नही। ” लगता यहाँ के लोगों को मनी हाइएस्ट शो के लुटेरों के बारे में पता नहीं है।

क्या है इन किताबो का इतिहास ?

यहाँ कि किताबों पूरी तरह से चौकोर नहीं होती इसके पीछे का क्या कारण है ? इन किताबों की लम्बाई चौड़ाई से ज्यादा क्यों होती है ? इसके पीछे का कोई इतिहास है क्या ? आपको बता दें कि इन किताबों पर मिट्टी की पट्टी बनी हुई होती थी , किताबों से पन्नो से पहले किन चीजों पर लिखा जाता था?

पत्थरों और मिट्टी की पट्टी के बाद प्राचीन मिस्र के लोगों के घास की पत्तियों को चटाई नुमा चीजों पर लिखने के पुख्ता सबूत पाए गए हैं। जिनको पापायरस के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि एक के बाद एक जोड़कर एक लंबी चटाई पहले बनाई जाती है और जहाँ किताबें बनाने की जगह इनको रोल करके संजोया जाता था या फिर एक के ऊपर कर रखा जाता है।

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फिर इसके बाद पुरानी चीन में बांस, लकड़ी के ऊपर लिखने का काम किया गया, और भारत में भी इस तरह की चीज़ों के साथ यानि कि पेड़ों की छाल और पत्तों पर लिखने के सुराग मिलते रहे हैं। अगर हम बात करें यूरोप की करें तो वहां चमड़े को खींचकर पतला करके उस पर लिखने काम और फिर से किताबें बनाने का काम शुरू हुआ। यहाँ से ही किताबों के आकार का आयताकार हो जाने का सफर भी जुड़ा हुआ था।

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