पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हाल ही में हुए BLA (बलूच लिबरेशन आर्मी) के हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की वेस्टर्न बॉर्डर पूरी तरह बेकाबू हो चुकी है। इस बार निशाना बना पाकिस्तान रेलवे का एक पैसेंजर ट्रेन, जिस पर BLA के लड़ाकों ने हमला किया और कई लोगों की जान चली गई। ये हमला सिर्फ एक ट्रेन पर नहीं, बल्कि पूरे पाकिस्तानी एस्टैब्लिशमेंट पर सीधा हमला था।

कहाँ और कैसे हुआ हमला?
बलूचिस्तान के बोलन जिले में ये हमला तब हुआ जब ट्रेन रूटीन ट्रैक पर थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, BLA के लड़ाकों ने पहले ट्रैक को विस्फोटक से उड़ाया, जिससे ट्रेन पटरी से उतर गई। फिर उन्होंने गोलियों की बौछार कर दी, जिससे पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और यात्रियों में अफ़रा-तफ़री मच गई।
BLA के स्पोक्सपर्सन ने इस हमले की ज़िम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह हमला पाकिस्तान आर्मी के अत्याचारों और जबरन ग़ायब किए गए बलोच नागरिकों का बदला है। इस तरह के हमले पिछले कुछ सालों में तेज़ हुए हैं, खासकर तब से जब से पाकिस्तान आर्मी ने बलोच लोगों पर दमन बढ़ा दिया है।
BLA का बढ़ता दबदबा और पाकिस्तानी आर्मी की बेबसी
पाकिस्तान की सरकार और सेना हमेशा यही दावा करती है कि उन्होंने बलूच विद्रोहियों को कंट्रोल कर लिया है, लेकिन हकीकत ये है कि हालात और भी खराब होते जा रहे हैं। BLA और BLF (बलूच लिबरेशन फ्रंट) जैसे ग्रुप्स लगातार आर्मी, रेलवे, और सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हमले कर रहे हैं।
कुछ महीने पहले ही, ग्वादर में चीनी इंजीनियरों के काफिले पर बड़ा हमला हुआ था, जिसमें कई चीनी नागरिकों की मौत हुई थी। इसके अलावा, कराची में चीनी दूतावास और स्टॉक एक्सचेंज पर भी हमले हो चुके हैं। इन सबका मकसद एक ही है – पाकिस्तान को ये दिखाना कि बलूचिस्तान अब उनके कंट्रोल में नहीं है।
पाकिस्तानी मीडिया और सरकार की चुप्पी
हर बार की तरह, इस बार भी पाकिस्तानी मीडिया और सरकार इस हमले को छोटा दिखाने में लगी है। लेकिन ग्राउंड रियलिटी यही है कि पाकिस्तान बलूचिस्तान में अपनी पकड़ खो चुका है।
बलूचिस्तान में पिछले कुछ सालों में कई राजनीतिक और सशस्त्र आंदोलन उठे हैं। महरंग बलोच जैसे एक्टिविस्ट दुनिया के सामने पाकिस्तान आर्मी के जुल्म को उजागर कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ BLA और BLF जैसे ग्रुप सीधे हमलों के जरिए पाकिस्तान को झकझोर रहे हैं।
पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा?
ये हमला सिर्फ एक ट्रेन पर नहीं हुआ, बल्कि ये पाकिस्तान की कमजोर होती पकड़ और उसकी सुरक्षा रणनीति की नाकामी का भी सबूत है। अब सवाल ये है कि पाकिस्तान इस चुनौती से कैसे निपटेगा? क्या वो और ज्यादा दमन करेगा या फिर बलूचों के असली मुद्दों को हल करने की कोशिश करेगा?
फिलहाल तो पाकिस्तान के पास ज़्यादा ऑप्शन्स नहीं हैं। एक तरफ TTP, दूसरी तरफ बलूच लड़ाके, और तीसरी तरफ गिरती हुई अर्थव्यवस्था—पाकिस्तान के लिए 2025 किसी बुरे सपने से कम नहीं होने वाला।